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सुना आपने, कन्हैया ने फिर भाषण दिया है!
एक टीवी पत्रकार होने के नाते मुझे पता है कि ये संभव नहीं था कि कन्हैया के भाषण को पहले रिकॉर्ड किया जाता और फिर उसका प्रसारण. टीवी चैनलों ने कन्हैया को आरोपी, पीड़ित, राजनीति का शिकार मानने के बजाए सिर्फ 'मैन आफ द मोमेंट' माना, जिसके बारे में लोग जानना चाह रहे थे.
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